संस्थापक अध्यक्ष - कृष्णतत्त्ववेत्ता श्री तेजस्वी दास जी


krishntattvetta shri jeevanug tejasvi das ji

कृष्णतत्त्ववेत्ता श्रीतेजस्वी दास जी गीता भागवत प्रचार सेवा (GBPS) ट्रस्ट वृन्दावन के संस्थापक अध्यक्ष और शिक्षागुरु है, जो श्रीचैतन्य महाप्रभु एवं उनके विशेष कृपापात्र गौड़ीय वैष्णव तत्त्वाचार्य विश्वगुरु श्रील जीव गोस्वामीपाद के सिद्धान्तों के अनुसार श्रीमद्भगवदगीता एवं श्रीमद्भागवत महापुराण की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करते हैं।

आपका मुख्य उद्देश्य जन-सामान्य में गीता-भागवत प्रचार के द्वारा तत्त्वज्ञानी एवं अनन्य कृष्णभक्त तैयार करना है। आप गीता-भागवत का प्रचार कार्य कृष्ण की प्रिय सेवा के रूप में पूर्णतः निःस्वार्थ भाव से करते हैं, इसीलिए अपने ट्रस्ट का नामकरण भी गीता-भागवत प्रचार सेवा (GBPS) रखा है।

आप गीता-भागवत सत्संग, श्रीमद्भागवत सिद्धान्त कथा और श्रीकृष्ण कथा के रूप में अपने दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं और सभी दिव्य कार्यक्रम प्रतिबन्ध रहित-मांग रहित (no condition-no demand) के नियम पर आधारित रहते हैं। आप प्रचारसेवा में स्त्री-पुरुष का भेदभाव नहीं रखते, प्रचारसेवा का अधिकार योग्यता-पात्रता अनुसार हर इच्छुक कृष्णभक्त को प्रदान करते हैं,यही कारण है कि आप पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों को भी प्रचारसेवा में प्रमुखता के साथ अग्रसर करते हैं।

आप मन्त्रदीक्षा से अधिक महत्त्व गीता-भागवत की शिक्षा को देते हैं,यही कारण है कि आप किसी को मन्त्रदीक्षा नहीं देते अपितु कृष्णतत्त्व ज्ञान की शिक्षा देते हैं। आप स्वयं भी विश्वगुरु श्रील जीव गोस्वामीपाद जी को अपना शरणास्पद आचार्य या उद्धारक सद्गुरु मानते हैं और अपने अनुयायियों को भी उन्हीं की शरणागति का उपदेश,निर्देश व आदेश देते हैं। आप गौड़ीय सम्प्रदाय की शिक्षाओं के उपदेशक व प्रचारक होते हुए भी वर्तमान में उपलब्ध गौड़ीय वैष्णव गुरु परम्पराओ से जुड़े हुए नहीं है,अपितु विश्वगुरु श्रीलजीव गोस्वामीपाद जी को ही अपने उद्धारक सद्गुरु के रूप में स्वीकारते हैं। आपका मानना है कि आपके भक्तिमार्ग से सम्बन्धित समस्त जटिल संशयों का निवारण और जिज्ञासाओं का समाधान एकमात्र उन्हीं के स्वरचित ग्रन्थों के माध्यम से हुआ है,इसीलिए आप उनके अतिरिक्त अन्य किसी को अपना सदगुरुदेव नहीं मानते और अपने अनुयायियों को भी उन्हीं की शरणागति के लिए प्रेरित करते हैं।

आपकी गीता-भागवत सम्बन्धी शिक्षाएं विश्वगुरु श्रील जीव गोस्वामीपाद जी के श्रीभागवत सन्दर्भ और श्रीगोपाल चम्पू ग्रन्थों में वर्णित सिद्धान्तों पर ही आधारित है।

आप श्रीमद्भागवत महापुराण को केवल ग्रन्थ नहीं मानते अपितु साक्षात श्रीकृष्ण ही मानते हैं। आप सरल स्वभाव और विनम्र व्यवहार से युक्त अनन्य कृष्णभक्त है और कृष्ण तत्त्वज्ञान के पारंगत प्रचारक होने से अपने अनुयायियों के बीच कृष्णतत्त्ववेत्ता के रूप में विख्यात है।

श्रीकृष्ण को जानो।
श्रीकृष्ण को मानो।
श्रीकृष्ण के बन जाओ।

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