प्रस्तुत सुस्वागतम पुरुषोत्तम मास पुस्तिका बृहद नारदीय पुराण के अंतर्गत वर्णित पुरुषोत्तम मास महात्मय का सार संकलन है जिसके स्वाध्याय से पाठक पुरुषोत्तम मास की श्रेष्ठता सरलता से समझ सकता है। साथ ही इसमें गीतोक्त पुरुषोत्तम योग अध्याय भी सम्मिलित किया गया है,क्योंकि पुरुषोत्तम मास में इसके नित्य पाठ की भारी महत्ता है। पुरुषोत्तम मास का भलीभांति स्वागत-अभिनंदन करना प्रत्येक वैष्णव का अनिवार्य कर्तव्य है
प्रस्तुत संकलन का नाम गीता सार है- धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में भगवान् श्रीकृष्ण ने अपने नित्य सखा श्री अर्जुन को शोकमुक्त करने के बहाने अध्यात्म ज्ञान की गंगा बहा दी थी, उस अध्यात्म ज्ञान गंगा को श्रीमद्भगवद्गीता कहते है । सम्पूर्ण गीता का सार है कि श्रीकृष्ण परम भगवान् है और श्रीकृष्ण भक्ति ही सर्वश्रेष्ठ योग है । गीता सार पुस्तिका में दोनों विषयों को संग्रहित किया गया है ।इस पुस्तिका का पाठ प्रतिदिन अवश्य करें।
प्रस्तुत संकलन 'श्री भागवत माला' श्रीमद्भागवत का ही सारस्वरूप है। श्रीमद्भागवत के अठारह हजार श्लोक रूपी मोतियों में से एक सो आठ अतिसुन्दर श्लोक रूपी मोतियों का चयन करके वैष्णवो के लिए दिव्य माला का निर्माण किया गया है, जिसका नित्य पाठ करने से अर्थात जपने से परम भगवान श्री कृष्ण में दृढ़ निष्ठा जाग्रत होना निश्चित है।
प्रस्तुत सर्वप्रमाण चक्रवती श्रीमद्भागवत पुस्तिका में विस्तार एवं युक्तिपूर्वक यह सिद्ध किया गया है कि श्रीमद्भागवत ही परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त करने में सर्वोच्च प्रमाण है। यह गौड़ीय वैष्णव तत्त्वाचार्य विश्वगुरु श्रील जीव गोस्वामीपाद जी द्वारा स्वरचित श्री तत्त्वसन्दर्भ ग्रंथ पर आधारित है और उन्ही की प्रसन्नता के लिए इसका संपादन किया गया है। परमेश्वर के विषय में निर्णायक ज्ञान पाने के इच्छुक जिज्ञासु महानुभाव इस पुस्तिका का स्वाध्याय अवश्य करे और दिव्य ज्ञान की ओर अग्रसर हों।
शीर्षक को पढ़ते ही पाठक के मन में तुरंत विचार उठेगा कि कितना सरल प्रश्न है। इस प्रश्न का उत्तर तो भारतवर्ष का बच्चा-बच्चा जानता है कि गीता के वक्ता श्रीकृष्ण हैं। लेकिन वर्तमान समय में अनेक राष्ट्रीय- अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थाएं प्रचार कर रही है कि गीता का उपदेश श्रीकृष्ण ने नहीं निराकारब्रह्म ने दिया, कोई कह रहा है कि ज्योतिबिन्दु शिव ने दिया और कोई कहता है कि काल ने दिया। इस पुस्तिका के माध्यम से प्रमाणित किया गया है कि गीता के वक्ता निराकारब्रह्म, ज्योतिबिन्दु शिव या काल नहीं बल्कि सच्चिदानंद परमेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण है।
प्रस्तुत वंदनं पुस्तिका में भगवान प्रणाम मंत्र,वंदना और स्तुतियों का संग्रह है।
जिसमे चतुश्लोकि गीता और चतुश्लोकि भागवत भी सम्मिलित है, जिसको क्रमशः श्रीमद्भगवतगीता और श्रीमद्भागवत का बीज भी कहते है। नित्यप्रति इनका पाठ करने से पाठक को सम्पूर्ण गीता और सम्पूर्ण भागवत पढ़ने का फल प्राप्त होता है।